Premanand Maharaj: शगुन-अपशगुन और सफलता के राज के पर जानें क्या कहते हैं प्रेमानंद जी
Premanand Maharaj: शगुन-अपशगुन और सफलता के राज के पर जानें क्या कहते हैं प्रेमानंद जी
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Success mantra by Premanand Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि सफलता के लिए कर्म की महत्ता होती है. लक्ष्य हासिल करने के लिए कर्म करना बेहद जरूरी होता है. जो इंसान सिर्फ भाग्य पर ही निर्भर रहता है उसे कुछ नहीं मिलता है, क्योंकि कर्म ही आपका भाग्य निर्धारित करता है.

Premanand Maharaj शगुन-अपशगुन पर क्या बोले 

मथुरा के राधा केली कुंज आश्रम के महाराज गुरु प्रेमानंद जी को हर कोई जानता है। ऐसे में एक एक अनुयायी ने बिल्ली के रास्ता काटने से जुड़े मान्यताओं को लेकर गुरूजी से सवाल किया तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि “ऐसी स्थिति में कभी मत रुकना। चाहें बिल्ली रास्ता काट जाए या कुत्ता या सिहार, ये सब सांसारिक बातें हैं। सब में भगवान विराजमान है।

ऐसे में आपके साथ अमंगल नहीं हो सकता। बिल्ली में ही भगवान की भावना को प्रणाम करो और आगे बढ़ जाओ। फिर आपको कोई परेशानी नहीं होगी। प्रेमानंद महाराज हंसी भरे अंदाज में कहते हैं कि “अच्छा बताओ बिल्ली जोरदार कि ब्रजवासी?” फिर सामने से जवाब आता है ब्रजवासी। ऐसा करने पर कोई दिशा दोष नहीं लगेगा।

यदि ऐसी स्थिति में मन घबराए तो तत्काल गोविंद का स्मरण करो और गिरिराज धरण की जय बोल आगे बढ़ जाओ। बाधाएं उनके लिए हैं जो विमुख और पापी लोग हैं। पूर्ण आत्मा और भगवत भक्त के लिए हर विघ्न मंगल दायक हो जाता है।

सफलता के राज के पर जानें क्या कहते हैं प्रेमानंद जी

Premanand Maharaj जी के मुताबिक, सफलता हासिल करने के लिए इंसान में धैर्य और समर्पण का भाव होना बहुत जरूरी होता है. अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग असफल हो जाते हैं तो हार मान लेते हैं और फिर से प्रयास करना बंद कर देते हैं. लेकिन लक्ष्य हासिल करने के लिए लगातार कोशिश करना पड़ता है.

सकारात्मक सोच रखें: Premanand Maharaj

Premanand Maharaj जी के अनुसार, सफलता और असफलता में सिर्फ दृष्टिकोण का अंतर होता है. अगर इंसान सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ता है और अपनी गलतियों की से सीखता रहता है तो वह निस्संदेह एक न एक दिन जरूर सफल हो जाता है.

सफलता के लिए व्यक्ति को अहंकार के भाव से बचना चाहिए. अहंकार व्यक्ति को कभी आगे बढ़ने नहीं देता है. साथ ही व्यक्ति को कड़ी मेहनत करने की भी जरूरत होती है.

Premanand Maharaj जी बताते हैं कि इंसान को बाहरी शांति के मुकाबले आंतरिक शांति का मिलना बहुत जरूरी होता है. जिस व्यक्ति का मन शांत रहता है तो वह हर परिस्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम होता है.

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