Premanand Ji Maharaj: वीआईपी कल्चर पर प्रेमानंद जी महाराज ने लगाई लताड़, बोले ये गलत बात
Premanand Ji Maharaj: वीआईपी कल्चर पर प्रेमानंद जी महाराज ने लगाई लताड़, बोले ये गलत बात
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Premanand Ji Maharaj on VIP culture: प्रेमानंद जी का प्रभाव केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देखा जा सकता है। उनके भजन और सत्संग सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वे युवाओं में भी काफी लोकप्रिय हैं। प्रेमानंद जी महाराज एक ऐसे संत हैं जिन्होंने अपने जीवन को भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया है। वे लोगों को सही मार्ग दिखाने का काम करते हैं। उनके उपदेशों से लाखों लोगों का जीवन बदल चुका है।

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) एक ऐसे संत हैं जिन्होंने अपने भजनों और सत्संगों के माध्यम से लाखों लोगों के दिलों को छुआ है। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था और बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। किशोरावस्था में ही उन्होंने घर त्याग कर आध्यात्मिक जीवन को अपना लिया था।

वीआईपी कल्चर पर प्रेमानंद जी महाराज क्या बोले 

आजकल मंदिरों और देवस्थानों पर वीआईपी कल्चर खूब बढ़ गया है. लोगों को लगता है कि सिक्के की खनक से जिस तरह दुनिया की हर चीजें हासिल हो जाती हैं, उसी तरह भगवान की भक्ति भी सिक्के के जोर से मिल जाती है. इसलिए ऐसे लोग लंबी-लंबी लाइनों में लगने की बजाय पैसे के बल पर बहुत आसानी से भगवान के दर्शन के साथ आसानी से गर्भगृह तक भी पहुंच जाते हैं.

Premanand Ji Maharaj on VIP culture

इस तरह दर्शन करके वह बहुत खुशी-खुशी मंदिर से बाहर आते हैं. ऐसे ही वीआईपी कल्चर को लेकर एक श्रद्धालु ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल पूछा कि भगवान का वीआईपी दर्शन करना कितना शुभ माना जाता है.

भक्त के इस सवाल पर प्रेमानंद जी ने जो जवाब दिया वो हैरान करने वाला था. ऐसे में आइए जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने लंबी-लंबी कतारों में लगने के बजाय रुपयों के जोर से वीआईपी दर्शन करने वाले लोगों के लिए क्या बताया है.

प्रेमानंद जी महाराज का ये था जवाब

श्रद्धालु के सवाल पर Premanand Ji Maharaj ने कहा कि रुपए-पैसों के जोर के सहारे भगवान के दर्शन करना भक्ति नहीं माया होती है. जब व्यक्ति का आदर, सम्मान पैसों को देखकर किया जाता है तो वह सम्मान नहीं माया होती है. इसी तरह से वीआईपी दर्शन करने वाले भगवान के दर्शन नहीं करते हैं, सिर्फ वह खानापूर्ति करते हैं. पैसों के जरिए ठाकुर जी नहीं मिलते हैं.

भक्ति और समर्पण की भावना जरूरी

Premanand Ji Maharaj ने बताया कि पैसे निकालो, काम करवाओ सिक्के की यह माया हर जगह नहीं चलती है. ठाकुर जी के सामने सिर्फ भक्ति और समर्पण की भावना ही चलती है. ठाकुर जी के पास माया और पैसा काम नहीं आता है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि माया और भक्ति दोनों अलग-अलग होती है. जो इंसान माया और भक्ति को समझ लिया, मानो उस पर ठाकुर जी की कृपा होने लगेगी.

संक्षिप्त परिचय

प्रेमानंद जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके परिवार में आध्यात्मिक रुचि सदैव रही है। किशोरावस्था में ही उन्होंने संन्यास ग्रहण कर दिया था और तब से वे आध्यात्मिक साधना में लीन रहे। वर्तमान में वे वृंदावन में निवास करते हैं और वहीं से देश-विदेश में भ्रमण कर सत्संग करते हैं।

प्रेमानंद जी भक्ति और ज्ञान दोनों का ही संगम हैं। वे भक्ति के माध्यम से लोगों को भगवान से जोड़ते हैं और साथ ही ज्ञान के माध्यम से आत्मज्ञान का मार्ग दिखाते हैं।

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