Holashtak 2025: क्‍यों होली से पहले मनाया जाता है होलाष्टक, क्‍या है इसका महत्‍व?
Holashtak 2025: क्‍यों होली से पहले मनाया जाता है होलाष्टक, क्‍या है इसका महत्‍व?
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Holashtak 2025 Religious Significance: फाल्गुन माह आते ही एक अलग तरह की मस्ती शुरू हो जाती है। आख़िरकार, रंगों का त्योहार होली इसी महीने है! इस साल होली 14 मार्च 2025 को है और होलिका दहन 13 मार्च को है। यानी 8 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएगा. होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते कोई शुभ कार्य? इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है.

Holashtak 2025 को लेकर मान्‍यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु की भक्ति में डूबे प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो हिरण्यकश्यप ने उसे आठ दिनों तक यातनाएं दीं। लेकिन प्रह्लाद की भक्ति अटल रही।

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जलाने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकेगी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका आग में जलकर मर गई और प्रह्लाद बच गया।

ग्रहों का प्रकोप

Holashtak 2025: प्रह्लाद की आठ दिनों की यातना के दौरान सभी ग्रह और देवता क्रोधित थे। इसलिए होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता और इसे निष्फल माना जाता है।

कामदेव की भस्म और रति का विलाप

एक अन्य कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया था। कामदेव की मृत्यु से देवलोक में शोक छा गया। उनकी पत्नी रति ने भगवान शिव से प्रार्थना की और उनके पुनर्जन्म की याचना की।

भगवान शिव ने रति की प्रार्थना सुनी और कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। इसलिए होलाष्टक को शोक और उत्सव के मिश्रण के रूप में भी देखा जाता है।

होलाष्टक: एक नजर में

कब होता है: होली से 8 दिन पहले
क्या होता है : शुभ कार्य वर्जित हैं
ऐसा क्यों होता है: प्रह्लाद की भक्ति और ग्रहों का प्रकोप
महत्व: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक

होलाष्टक (Holashtak 2025) हमें याद दिलाता है कि भक्ति और विश्वास की शक्ति सबसे बड़ी है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।

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