Mahashivratri: शिवत्व को आत्मसात करने का पर्व है महाशिवरात्रि
Mahashivratri: शिवत्व को आत्मसात करने का पर्व है महाशिवरात्रि
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Mahashivratri 2025 assimilating Shivatva: आचार्य दीप चंद भारद्वाज : पौराणिक ग्रंथों में शिव की उपासना का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) का पर्व विशेष रूप से शिव की आराधना का आध्यात्मिक उत्सव है। वैसे तो एक वर्ष में 12 शिवरात्रि आती हैं लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि का शिव पुराण में विशेष रुप से महत्व वर्णित है।

Mahashivratri 2025: शिव का स्वरूप कल्याणकारी 

इस बार यह पावन उत्सव 26 फरवरी को संपन्न हो रहा है। यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। शिव पुराण में महामृत्युंजय मंत्र के माध्यम से भगवान शिव की आराधना को विशेष रूप से पुण्य कारी माना गया है।

शिव का स्वरूप कल्याणकारी है। जगत के कल्याण के लिए ही महादेव अपनी जटाओं में गंगा को समेटे हुए हैं ताकि प्रबल वेगवती गंगा मर्यादित होकर धरती पर उतरे। शिव की अर्धांगिनी है शक्ति, वह शक्ति जो प्रकृति स्वरूपा भी हैं और संपूर्ण सृष्टि का आधार भी।

सत्यम शिवम सुंदरम का समन्वय

शिव ही शक्ति और शक्ति ही शिव हैं। भगवान शिव सत्यम शिवम सुंदरम का समन्वय हैं। शिवरात्रि हमें अपने जीवन में इसी शिवत्व को धारण करने का उपदेश देती है। शिवत्व का आध्यात्मिक अर्थ है आत्म कल्याण। आत्मा की उन्नति में बाधक काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं भौतिक विषयों से विरक्ति का मार्ग, हमारा जन्म शिवत्व को प्राप्त करने के लिए ही हुआ है।

बिना शिवत्व की प्राप्ति के मुक्ति का मार्ग भी अवरुद्ध रहता है। अंतःकरण पर व्याप्त मलिनताओं ने हमारे शिवत्व को ढक रखा है। शिवत्व ही मनुष्य का परम लक्ष्य है। उस परम शिव के गुणों को अपनी आत्मा में ध्यान उपासना के माध्यम से धारण करने का यह स्वर्णिम पर्व है महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025)।

मनुष्य को यह पर्व सत्यम शिवम सुंदरम को अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा प्रदान करता है। साधकों की परम शक्ति शिव को अपनी आत्मा में अनुभूत करते हुए नतमस्तक होने कि यह पवित्र बेला है।

यजुर्वेद के मंत्र में परम शक्ति शिव

यजुर्वेद के मंत्र में परम शक्ति शिव को विनीत भाव से नमन करते हुए कहा गया है कि -“नमः शंभवाय च मयो भवाय च, नमः शंकराय च मयस्कराय च, नमः शिवाय च शिवतराय च“।। अर्थात शांति के स्रोत, सुख के अनंत भंडार, कल्याण स्वरूप ,अतिशय कल्याण एवं मोक्ष प्रदाता आदि शक्ति भगवान शिव को हमारा नमन है।

जीवन में शिवत्व को आत्मसात करने का दिव्य संदेश इसी महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) पर्व में छिपा हुआ है ।शिव की साधना ही हमें इस दिव्य तत्व को अपनी आत्मा में अनुभव करने की प्रेरणा प्रदान करती है।

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