Tesla car: टेस्ला की कार अगर भारत में बनी तो कितनी सस्ती पड़ेगी? एलन मस्क के प्लान का पूरा हिसाब
Tesla car: टेस्ला की कार अगर भारत में बनी तो कितनी सस्ती पड़ेगी? एलन मस्क के प्लान का पूरा हिसाब
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If Elon Musk makes Tesla car in India how cheap will it beएलन मस्क की टेस्ला अब भारत में कदम रखने को तैयार है। अगले महीने से टेस्ला की कारें भारतीय सड़कों पर दिख सकती हैं, लेकिन शुरुआत में ये इंपोर्टेड होंगी, जिस पर भारी ड्यूटी लगेगी। मगर क्या हो अगर टेस्ला भारत में ही अपनी फैक्ट्री लगाए? सरकार भी यही चाहती है। अगर ऐसा हुआ तो टेस्ला की कारें कितनी सस्ती हो सकती हैं, और मस्क के लिए यह कितना फायदे का सौदा होगा? चलिए, इसकी पूरी पड़ताल करते हैं।

भारत में Tesla car का प्लान: इंपोर्ट से फैक्ट्री तक

फिलहाल टेस्ला इंपोर्ट के जरिए भारत में कारें लाएगी, लेकिन लंबे वक्त तक ऐसा चलाना आसान नहीं। इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से कीमतें आसमान छूएंगी। सरकार चाहती है कि टेस्ला भारत में प्रोडक्शन शुरू करे। भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री हर साल 62 लाख कारें बना सकती है, पर अभी सिर्फ 75% क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है। मस्क शुरुआत में बची 25% कैपेसिटी के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर विचार कर रहे हैं। लेकिन असली फायदा तो अपनी गीगाफैक्ट्री लगाने में है।

गीगाफैक्ट्री का जादू: भारत में सस्ती लागत

टेस्ला की दुनिया भर में 5 गीगाफैक्ट्री हैं—3 अमेरिका में, एक जर्मनी में और एक चीन में। मेक्सिको में भी प्लान चल रहा है। अगर भारत में 5 लाख कारों की सालाना क्षमता वाली गीगाफैक्ट्री लगे, तो लागत में भारी बचत होगी। जर्मनी के बर्लिन में ऐसी फैक्ट्री की कीमत 5 अरब डॉलर और अमेरिका के टेक्सास में 7 अरब डॉलर तक पहुंचती है। लेकिन भारत में यह सिर्फ 2 से 3 अरब डॉलर में तैयार हो सकती है। यानी लागत में करीब आधे से ज्यादा की कटौती। यह सस्तापन टेस्ला की कारों की कीमत को भी कम करेगा।

लेबर और सप्लाई का फायदा

भारत में सस्ती फैक्ट्री ही नहीं, मजदूरी भी जेब पर हल्की पड़ेगी। यहां लेबर कॉस्ट 2 से 5 डॉलर (अधिकतम 500 रुपये) प्रति घंटा है, जबकि अमेरिका में 36 डॉलर और जर्मनी में 45 डॉलर तक जाती है। साथ ही, भारत में मजबूत सप्लाई चेन, बड़ा कंज्यूमर मार्केट और सरकार की टैक्स छूट का फायदा भी मिलेगा। अगर टेस्ला यहां कार बनाए, तो प्रोडक्शन कॉस्ट घटने से ग्राहकों को सस्ती कारें मिलेंगी—शायद 20-30% तक कीमत कम हो जाए।

कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग क्यों है जोखिम?

कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग का रास्ता टेस्ला के लिए आसान लग सकता है, लेकिन इसमें कई पेंच हैं। सप्लाई चेन पर कंट्रोल नहीं रहेगा, डिलीवरी में देरी हो सकती है और लागत भी ज्यादा पड़ेगी। ऊपर से, बाद में फैक्ट्री लगाने का मन हुआ तो शून्य से शुरू करना पड़ेगा। जाहिर है, गीगाफैक्ट्री ही लंबे वक्त का फायदेमंद दांव है।

आपके लिए क्या मतलब?

अगर टेस्ला भारत में फैक्ट्री लगाती है, तो सिर्फ कारें सस्ती होंगी, बल्कि नौकरियां भी बढ़ेंगी। मस्क का यह कदम इलेक्ट्रिक गाड़ियों को आम आदमी की पहुंच में ला सकता है। तो अगर आप टेस्ला के दीवाने हैं, तो थोड़ा इंतजार करें—शायद जल्द ही सस्ती टेस्ला आपकी गैरेज में खड़ी हो।