New loan available at low interest EMI know details: क्या आप भी सस्ते लोन और आसान EMI की राह देख रहे हैं? तो तैयार हो जाइए, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में कुछ बड़ा करने वाला है। खबर है कि रेपो दर में 0.25% की कटौती हो सकती है, जिससे आपकी जेब पर बोझ कम होगा और आर्थिक राह आसान होगी। फरवरी में रेपो दर 6.25% हुई थी, और अब फिर से राहत की उम्मीद जगी है। आइए जानते हैं कि यह खबर आपके लिए क्या मायने रखती है और इसका असर क्या होगा।
Low interest EMI: रेपो दर में कटौती, सस्ते कर्ज का रास्ता
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7 अप्रैल से शुरू हो रही है, और 9 अप्रैल को इसके नतीजे सामने आएंगे। फरवरी में गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में रेपो दर को 0.25% घटाकर 6.25% किया गया था, जो मई 2020 के बाद पहली कटौती थी। अब विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति में कमी और वैश्विक चुनौतियों के बीच RBI एक बार फिर रेपो दर को 6% तक ला सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं कि कम मुद्रास्फीति और स्थिर तरलता इस कटौती को मुमकिन बना रही है। इसका मतलब है कि लोन की ब्याज दरें कम होंगी और EMI का बोझ हल्का होगा।
वैश्विक चुनौतियों के बीच राहत की कोशिश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत समेत 60 देशों पर 11% से 49% तक का टैरिफ लगाया है, जो 9 अप्रैल से लागू होगा। इससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा, लेकिन भारत के लिए यह मौका भी हो सकता है। रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि RBI इस बैठक में तटस्थ रुख अपनाते हुए रेपो दर में कटौती करेगा, ताकि घरेलू अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिले। हालांकि, नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में बदलाव की उम्मीद कम है। यह कदम न सिर्फ आम लोगों को सस्ता कर्ज दिलाएगा, बल्कि कारोबार और निवेश को भी बढ़ावा देगा।
उद्योग की राय: कटौती या इंतज़ार?
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर का मानना है कि RBI को अभी “देखो और इंतज़ार करो” की नीति अपनानी चाहिए। उनका कहना है कि हाल के उपायों से बाजार में तरलता बढ़ी है, और इसके असर को देखने के लिए वक्त चाहिए। दूसरी ओर, सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल कहते हैं कि रेपो दर में कटौती से लोग घर खरीदने जैसे बड़े निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे। लेकिन यह तभी काम करेगा, जब बैंक इस राहत को ग्राहकों तक तेज़ी से पहुंचाएं। दोनों नज़रिए यह दिखाते हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए यह फैसला कितना अहम है।
आपके लिए क्या है अच्छी खबर?
फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 3.61% पर आ गई, जो सात महीने का सबसे निचला स्तर है। सब्जियों और प्रोटीन की कीमतें घटने से यह मुमकिन हुआ। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में GDP 6.7% तक बढ़ सकता है, और मुद्रास्फीति भी काबू में रहेगी। अगर RBI रेपो दर घटाता है, तो सस्ते लोन से न सिर्फ आपकी EMI कम होगी, बल्कि घर, गाड़ी या बिजनेस के लिए कर्ज लेना भी आसान हो जाएगा। यह खबर हर उस शख्स के लिए राहत भरी है, जो आर्थिक बोझ से जूझ रहा है। तो 9 अप्रैल का इंतज़ार करें, क्योंकि आपकी जेब को हल्का करने वाला ऐलान बस आने वाला है।