Ram Mandir preparations news: अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण में एक नई कहानी जुड़ने वाली है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर के गर्भगृह और परकोटे में मूर्तियों की स्थापना के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस ऐतिहासिक पल के लिए राम नगरी के चार प्रमुख ज्योतिषाचार्यों ने शुभ मुहूर्त का चयन किया है। उनके अनुसार, गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया जैसे पवित्र अवसर इस कार्य के लिए सबसे उत्तम हैं।
अयोध्या Ram Mandir: मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त तय
ज्योतिषियों का कहना है कि अक्षय तृतीया के दिन मूर्तियों (Ram Mandir) को उनके स्थान पर रखा जाएगा, जबकि गंगा दशहरा के दिन प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन होगा। यह घटना न सिर्फ धार्मिक रूप से खास है, बल्कि अयोध्या के गौरवशाली इतिहास में एक नया पन्ना भी जोड़ेगी।
ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा ने बताया कि ये दोनों तिथियां अपने आप में शुभ हैं, जिन पर कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें मूर्ति स्थापना के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के लिए लग्न का ध्यान रखा जाएगा। हमने ट्रस्ट को शास्त्रों के आधार पर सलाह दी है।”
प्रवीण शर्मा ने आगे कहा कि पिछले साल कुछ विद्वानों ने मुहूर्त पर सवाल उठाए थे, लेकिन गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया पर सनातन परंपरा में कोई विवाद नहीं है। ट्रस्ट को सुझाव दिया गया कि अक्षय तृतीया से मूर्ति स्थापना शुरू हो और गंगा दशहरा तक प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूरी की जाए। यह एक लंबा कर्मकांड है, जिसे सही तरीके से संपन्न करने के लिए समय और शास्त्रीय नियमों का पालन जरूरी है।
कब होगा प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन
उन्होंने यह भी बताया कि अक्षय तृतीया का पूरा दिन मूर्ति स्थापना के लिए शुभ है। हालांकि, अलग-अलग देवताओं की मूर्तियों के लिए अलग-अलग लग्न निर्धारित होते हैं। जैसे, गणेश जी की मूर्ति जिस लग्न में स्थापित होगी, वह सूर्य या विष्णु के लिए अलग होगी।
इसके लिए ट्रस्ट को एक विस्तृत सूची दी जाएगी। अभी तक मूर्तियों की अंतिम सूची नहीं मिली है, लेकिन जो जानकारी उपलब्ध है, उसके आधार पर मुहूर्त तय किए गए हैं। यह प्रक्रिया अक्षय तृतीया से शुरू होगी और गंगा दशहरा पर प्राण प्रतिष्ठा के साथ पूरी होगी।
Ram Mandir अयोध्या की परंपरा के अनुसार, ट्रस्ट ने स्थानीय ज्योतिषियों और ब्राह्मणों से राय ली है। प्रवीण शर्मा ने कहा, “ट्रस्ट में विद्वान लोग हैं, चंपत जी खुद ज्ञानी हैं, फिर भी परंपरा का सम्मान करते हुए हमसे सलाह मांगी गई। हम आगे भी अपनी सेवा देते रहेंगे।” यह आयोजन अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाएगा।
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