Basant Panchami: प्रकृति के परम सौंदर्य में सरस्वती वंदन का उत्सव बसंत पंचमी
Basant Panchami: प्रकृति के परम सौंदर्य में सरस्वती वंदन का उत्सव बसंत पंचमी
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Basant Panchami worshiping Saraswatiआचार्य दीप चन्द भारद्वाज: माघ मास का हमारे अध्यात्मिक शास्त्रों में विशेष रूप से महत्व है। इसी मास की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी (Basant Panchami) तथा सरस्वती आराधना एवं आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी के पर्व से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है।

वसंत ऋतुओं का राजा

संपूर्ण वसुधा का प्राकृतिक वातावरण दुल्हन के समान सच कर संपूर्ण प्राणियों को आनंदित करने के लिए तैयार हो जाता है। वसंत को ऋतुओं का राजा कहा गया है। इस दिन पांचों तत्व अग्नि, जल ,वायु, पृथ्वी, आकाश अपने सुहावने रूप में रहते हैं। आकाश स्वच्छ, वायु सुहावनी ,अग्नि रुचिकर लगती है, जल आत्मा को तृप्ति देता है। संपूर्ण धरती वनस्पति से लहलहाती नजर आती है।

प्रकृति का सौंदर्य इस ऋतु (Basant Panchami) में अपने चरम पर होता है। पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर अपने मनमोहक रूप में प्रकट होते हैं। आज के दिन पृथ्वी की अग्नि सृजनता की तरफ अपनी दिशा करती है। जिसके कारण पृथ्वी पर समस्त पेड़ पौधे, फूल, मनुष्य आदि शरद ऋतु में मंद पड़ी अपनी आंतरिक अग्नि को प्रज्वलित कर नए सृजन की ओर कदम बढ़ाते हैं।

प्रकृति के सौंदर्य का गुणगान

Basant Panchami: इस रमणीय ऋतु में पूर्ण रूप से वर्षभर शांत रहने वाली कोयल भी अपने मधुर कूक से प्रकृति के सौंदर्य का गुणगान करने लगती है। हमारे भारतीय पर्वों की यह प्रमुख विशेषता है कि प्रकृति में घटने वाली हर घटना को वे वैज्ञानिक रूप से अपने आप में समावेशित किए हुए हैं। श्रावण मास की पनपी हरियाली शरद के बाद हेमंत और शिशिर में वृद्धा के समान हो जाती है।

तब वसंत उसका सौंदर्य आकर लौटाता है। वसंत ऋतु संपूर्ण प्रकृति को नवगात, नव पल्लव, नव कुसुम के साथ विलक्षण उपहारों से अलंकृत करती है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में बसंत पंचमी को सभी धार्मिक तथा आध्यात्मिक कार्यों हेतु शुभ मुहूर्त माना गया है। माघ मास की पंचमी ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की आराधना को समर्पित उत्सव है।

सरस्वती हमारी परम चेतना

सरस्वती हमारी परम चेतना है। यह हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका ईश्वर स्वरूपा शक्ति है। हमारे आचार तथा मेधा की आधार यही सरस्वती है। ज्ञान की अधिष्ठात्री सरस्वती की प्रतिमा तथा वस्त्र आभूषण आदि में प्रतीकात्मक रूप से अनुकरणीय संदेश समावेशित है।

सरस्वती का वाहन हंस विवेक शक्ति तथा सत्य असत्य की परख का प्रतीक है अर्थात मनुष्य को भी अपनी मनोवृति हंस के समान विवेकशील बनानी चाहिए। हाथों में पुस्तक हमें निरंतर सद ग्रंथों के स्वाध्याय की प्रेरणा देती है। सफेद धवल वस्त्र सात्विकता, पवित्रता के परिचायक हैं।

सरस्वती की वीणा हमें जीवन में सदैव मधुर संगीत के स्वरों की भांति आनंद और उल्लास के वातावरण को सृजित करने का संदेश देती है। इस प्रकार सरस्वती आराधना का यह उत्सव मनुष्य को सदैव विवेक शक्ति से परिपूर्ण करके निरंतर आध्यात्मिक शास्त्रों के चिंतन, मनन से अपने जीवन को सात्विक, पवित्र तथा उल्लासमय बनाने की दिव्य प्रेरणा से परिपूर्ण करता है।

वैदिक ग्रंथों में सरस्वती को वाग्देवी माना

Basant Panchami: वैदिक ग्रंथों में सरस्वती को वाग्देवी, कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि शक्ति माना गया है और इस ऋतु को मधुमास के नाम से भी जाना जाता है। संपूर्ण प्रकृति में वसंत ऋतु का यह समय मधुरता का संचार करता है। वसंत प्राकृतिक दुनिया के नवीनीकरण तथा पुनर्जन्म का समय है।

यह प्रकृति को उसकी नींद से जगाता है और उसे फिर से सक्रिय बनाता है और जिससे धरा पर चारों और सौंदर्य उल्लास का संचार होता है। वसंत का मौसम युवाओं में प्रेम, आशा, उत्साह का प्रतिनिधित्व करता है। किसानों का मन लहराती फसल को देखकर प्रफुल्लित हो जाता है। चारों तरफ सरसों के पीले फूल धरती की सुंदरता को सर्वोपरि बना देते हैं।

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के अवसर पर पीले रंग की वेशभूषा तथा पीले रंग के पकवानों का विशेष रूप से प्रावधान है। पीला रंग शुभ माना गया है। यह परिपक्वता उल्लास तथा आनंद की अनुभूति कराता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रंगों का हमारे जीवन से गहरा संबंध है। पीले रंग के परिधान हमारे मस्तिष्क के उस भाग को सक्रिय करते हैं जो हमारी चिंतन शक्ति का केंद्र है।

नई ऊर्जा प्रदान करता है Basant Panchami

वसंत ऋतु (Basant Panchami) का लगभग दो महीने का यह समय प्रकृति के वातावरण को वातानुकूलित बनाकर संपूर्ण प्राणियों को जीने की नई ऊर्जा प्रदान करता है। आयुर्वेद शास्त्र में कहा गया है कि वसंत की ऋतु में शुद्ध सात्विक वायु में भ्रमण करना शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है।

भयंकर शीत ऋतु से जब संपूर्ण प्राणियों के जीवन में ठहराव, स्थिरता आ जाती है तब यह वसंत संपूर्ण प्रकृति के वातावरण में नई जागृति और स्फूर्ति उत्पन्न करता है।

ठीक इसी प्रकार सरस्वती की आराधना मनुष्य के जीवन में आई हुई मानसिक तथा आत्मिक जड़ता तथा स्थिरता को नया उल्लास और नई ऊर्जा से परिपूर्ण करती है।

वसंत पंचमी (Basant Panchami) का यह पर्व हमें प्रकृति के सौंदर्य के साथ चलते हुए अपने अन्तःकरण में ज्ञान, शील, त्याग, तप, संयम ,सत्य तथा स्नेह को धारण करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

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