Chaitra Navratri 2025 Devi Kavach Path in Hindi: 30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होने वाली है। यह समय मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति से भरपूर माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में भक्त मां भगवती के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दिनों में मां दुर्गा के एक खास कवच का पाठ आपकी जिंदगी को बदल सकता है? मान्यता है कि यह चमत्कारी कवच हर संकट से बचाता है और मनोकामनाएं पूरी करता है। आइए, इसकी महिमा को करीब से जानते हैं।
Devi Kavach Path in Hindi: शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक
चैत्र नवरात्रि को मां दुर्गा की उपासना का सबसे शुभ समय कहा जाता है। इन दिनों में भक्त व्रत रखते हैं, विधि-विधान से पूजा करते हैं और मां की कृपा पाने की कामना करते हैं। इसी दौरान “देवी कवच” का पाठ करना बेहद खास माना जाता है। यह कवच मां के नौ रूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी और सिद्धिदात्री—की शक्ति को समेटे हुए है। कहते हैं कि इसे श्रद्धा से पढ़ने वाला हर मुसीबत से बच जाता है, चाहे वह शत्रु का डर हो या जीवन की कोई बड़ी चुनौती।
क्यों खास है यह कवच?
देवी कवच का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जहां मार्कण्डेय ऋषि इसे मनुष्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ रक्षा कवच बताते हैं। यह न सिर्फ शारीरिक संकटों से बचाता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी देता है। चाहे आप युद्ध के मैदान में हों या जिंदगी के किसी कठिन दौर से गुजर रहे हों, यह कवच आपके लिए ढाल बनकर खड़ा होता है। इसे पढ़ने से नकारात्मक शक्तियां, बीमारियां और शत्रुओं का भय दूर होता है। साथ ही, यह धन, यश और समृद्धि की प्राप्ति में भी मदद करता है।
जीवन में लाएं सकारात्मक बदलाव
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और परेशानियां आम हैं। ऐसे में मां दुर्गा का यह कवच न सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति देता है, बल्कि आपके भीतर छिपी ऊर्जा को भी जागृत करता है। इसे नियमित पढ़ने से डर खत्म होता है, आत्मबल बढ़ता है और हर काम में सफलता मिलती है। तो इस चैत्र नवरात्रि, मां के इस कवच को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और हर मुश्किल को आसान होते देखें।
कैसे करें पाठ?
नवरात्रि के नौ दिन सुबह-शाम इस कवच का पाठ करना चाहिए। इसे शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और मां दुर्गा के सामने दीप जलाएं। “ॐ नमश्चण्डिकायै” से शुरू होने वाला यह कवच हर अंग की रक्षा के लिए मां के अलग-अलग रूपों का आह्वान करता है। उदाहरण के लिए, शैलपुत्री सिर की रक्षा करती हैं, तो चंद्रघंटा कानों की। इसे श्रद्धा और एकाग्रता से पढ़ें, ताकि मां की कृपा आप पर बरसे।