Kanya Pujan: चैत्र नवरात्रि 2025 कन्या पूजन का खास महत्व और नौ कन्याओं के रूप, जानें सबकुछ!
Kanya Pujan: चैत्र नवरात्रि 2025 कन्या पूजन का खास महत्व और नौ कन्याओं के रूप, जानें सबकुछ!
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Chaitra Navratri 2025 Kanya Pujan kab hai: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और हर घर में मां दुर्गा की भक्ति का रंग चढ़ रहा है। 30 मार्च से शुरू हुए इस पावन पर्व का समापन 6 अप्रैल को होगा। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है, जो माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। लेकिन नवरात्रि का असली आनंद तब पूरा होता है, जब कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि का व्रत और पूजा अधूरी रहती है। तो आइए, इस खास रिवाज के बारे में आसान और रोचक तरीके से जानते हैं कि कन्या पूजन क्यों जरूरी है और इसमें क्या-क्या खास होता है।

Kanya Pujan: मां दुर्गा का छोटा रूप

हिंदू धर्म में छोटी-छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि में कन्या पूजन का मतलब है माता के नौ रूपों की आराधना करना। मान्यता है कि 2 से 10 साल की उम्र की नौ कन्याएं मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का प्रतीक होती हैं। इन नन्ही कन्याओं को घर बुलाकर उनकी
उनकी पूजा की जाती है, भोजन कराया जाता है और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा दी जाती है। ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

कौन सी उम्र की कन्या, कौन सा रूप?

कन्या पूजन में हर उम्र की कन्या का अपना खास नाम और महत्व है। दो साल की कन्या को ‘कुमारी’ कहा जाता है, जो पवित्रता का प्रतीक है। तीन साल की कन्या ‘त्रिमूर्ति’ होती है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का रूप मानी जाती है। चार साल की कन्या ‘कल्याणी’ कहलाती है, जो कल्याण की देवी है। पांच साल की ‘रोहिणी’, छह साल की ‘कालिका’, सात साल की ‘शाम्भवी’ और आठ साल की ‘सुभद्रा’ कहलाती है। ये नाम और रूप मां दुर्गा की शक्तियों को दर्शाते हैं। हर कन्या को माता का सम्मान देते हुए उनकी पूजा की जाती है।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में बेहद खास मानी जाती है। ये नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की भक्ति के लिए समर्पित होते हैं। इन दिनों में सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं और माता की कृपा बरसती है। हर दिन एक देवी का अपना खास महत्व होता है, और उनकी आराधना से घर में समृद्धि और शांति आती है। कन्या पूजन इस पूजा का सबसे प्यारा हिस्सा है, जो भक्ति और श्रद्धा को पूरा करता है।

कन्या पूजन से मिलता है आशीर्वाद

नवरात्रि में कन्या पूजन सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि मां दुर्गा से सीधा आशीर्वाद पाने का जरिया है। इन नन्ही कन्याओं को माता का रूप मानकर उनकी सेवा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। अगर आप भी इस चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन करने की सोच रहे हैं, तो 2 से 10 साल की कन्याओं को बुलाएं, उनका सम्मान करें और मां का आशीर्वाद लें। यह छोटा-सा कदम आपके घर को खुशियों से भर सकता है!