Maa Siddhidatri Pooja Vidhi: चैत्र नवरात्रि 2025 में मां सिद्धिदात्री की कृपा से बदलें अपना भाग्य
Maa Siddhidatri Pooja Vidhi: चैत्र नवरात्रि 2025 में मां सिद्धिदात्री की कृपा से बदलें अपना भाग्य
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Maa Siddhidatri pooja vidhi shubh muhurat aarti in Hindiचैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और अब बारी है नौवें दिन की, जिसे महानवमी या रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप को समर्पित है। मां सिद्धिदात्री का नाम ही बताता है कि ये हर तरह की सिद्धियां देने वाली देवी हैं। मान्यता है कि इनकी भक्ति से न सिर्फ जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि डर और बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं कि 2025 में मां सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ समय, विधि और उनके प्रिय भोग क्या हैं, ताकि आप भी उनकी कृपा के पात्र बन सकें।

Maa Siddhidatri Pooja Vidhi: सिद्धियों की दात्री और भय का अंत करने वाली

मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का ही एक रूप माना जाता है। इनका वाहन सिंह है, लेकिन ये माता लक्ष्मी की तरह कमल पर भी विराजती हैं। चार भुजाओं वाली मां के हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल सुशोभित होते हैं। कहते हैं कि इनकी साधना से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं, जो जीवन को हर तरह से समृद्ध बनाती हैं। चाहे मन की शांति हो या शारीरिक रोगों से मुक्ति, मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की हर पुकार सुनती हैं।

शुभ मुहूर्त: कब करें मां की पूजा?

पंचांग के अनुसार, 2025 में महानवमी 6 अप्रैल को होगी। नवमी तिथि की शुरुआत 5 अप्रैल को होगी और यह 6 अप्रैल को शाम 7:22 बजे तक रहेगी। इस दिन मां सिद्धिदात्री और कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 11:58 से दोपहर 12:49 तक रहेगा। यह अभिजित मुहूर्त माना जाता है, जो पूजा के लिए बेहद खास होता है। अगर आप इस समय पूजा करते हैं, तो मां की कृपा दोगुनी हो सकती है।

पूजा विधि: मां को ऐसे करें प्रसन्न

महानवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। सबसे पहले कलश और सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें। फिर मां सिद्धिदात्री को रोली, कुमकुम, फूल और चुनरी अर्पित करें। भक्ति भाव से मां की पूजा करें और उन्हें खीर, पूरी, चना, हलवा और नारियल का भोग लगाएं। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में नौ कन्याओं और एक बालक को भोजन कराएं, इससे मां का आशीर्वाद मिलता है। मोबाइल यूजर्स के लिए टिप: पूजा की तैयारी पहले से कर लें, ताकि समय पर सब पूरा हो सके।

मां का प्रिय भोग और रंग

मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूरी, खीर और नारियल बहुत पसंद हैं। भक्तों का मानना है कि इन चीजों का भोग लगाने से मां बेहद खुश होती हैं। इसके अलावा, उनका प्रिय रंग सफेद और बैंगनी है। महानवमी के दिन इन रंगों के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। ये रंग आध्यात्मिकता और शांति के प्रतीक हैं, जो मां की भक्ति को और गहरा करते हैं।

मंत्र और आरती: मां की कृपा का आधार

मां सिद्धिदात्री की पूजा में उनके मंत्रों का जाप बहुत महत्व रखता है। “ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:” उनका बीज मंत्र है, जिसके जाप से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसके अलावा, उनकी आरती “जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता” गाकर भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। ये मंत्र और आरती न सिर्फ मन को शांति देते हैं, बल्कि मां के प्रति समर्पण को भी बढ़ाते हैं।

क्यों खास है मां सिद्धिदात्री की पूजा?

महानवमी का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि यह नवरात्रि का समापन और रामनवमी का उत्सव दोनों साथ लाता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों के अधूरे काम पूरे होते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। तो इस चैत्र नवरात्रि, मां की भक्ति में डूब जाएं और उनके आशीर्वाद से अपने भाग्य को चमकाएं।