Pradosh Vrat 2025 kab hai When is Chaitra Shukla Pradosh in April 2025: भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महादेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन इस बार चैत्र माह के आखिरी प्रदोष व्रत की तारीख को लेकर लोगों के मन में उलझन बनी हुई है। क्या यह 9 अप्रैल को होगा या 10 अप्रैल को? आइए, इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं और जानते हैं कि चैत्र शुक्ल प्रदोष व्रत 2025 कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और पूजा कैसे करनी चाहिए।
Pradosh Vrat 2025: चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह व्रत कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों में आता है और भगवान शिव को समर्पित होता है। इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल 2025 को रात 10:55 बजे शुरू होगी और 11 अप्रैल को तड़के 1 बजे खत्म होगी। ऐसे में यह व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा। खास बात यह है कि यह गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे “गुरु प्रदोष व्रत” भी कहा जाएगा। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ शिव भक्ति के लिए भी शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त: पूजा का सही समय
प्रदोष व्रत में पूजा का समय बहुत मायने रखता है। 10 अप्रैल को शाम 6:44 बजे से रात 8:59 बजे तक का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम रहेगा। इसके अलावा, दिन के अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:31 से 5:16 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:57 से दोपहर 12:48 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:34 से 7:05 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11:59 से 12:45 बजे तक
अगर आप शाम को पूजा नहीं कर पाते, तो इनमें से कोई भी समय चुन सकते हैं। मोबाइल यूजर्स के लिए यह जानकारी आसानी से उपलब्ध है, ताकि आप अपने व्यस्त दिनचर्या में भी इसे मैनेज कर सकें।
पूजा का आसान तरीका
प्रदोष व्रत की पूजा बेहद सरल और प्रभावी है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग की स्थापना करें। भोलेनाथ का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, कनेर के फूल, धूप और दीप अर्पित करें। पूजा के अंत में शिव चालीसा का पाठ करें, आरती करें और फल-मिठाई का भोग लगाएं। आखिर में प्रसाद बांटें और गरीबों को दान दें। मान्यता है कि दान करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और जीवन में समृद्धि आती है।
क्यों खास है प्रदोष व्रत?
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति का साधन माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन महादेव और माता पार्वती की कृपा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। खासकर चैत्र माह का यह आखिरी प्रदोष व्रत नए साल की शुरुआत में आशीर्वाद लेने का सुनहरा मौका है। तो देर किस बात की? अपने परिवार के साथ इस व्रत की तैयारी शुरू करें और भोलेनाथ की कृपा पाएं।