Premanand Ji Maharaj on daughter: बेटी के घर खाना खाएं या नहीं, जानें क्या बोले प्रेमानंद जी महाराज
Premanand Ji Maharaj on daughter: बेटी के घर खाना खाएं या नहीं, जानें क्या बोले प्रेमानंद जी महाराज
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Premanand Ji Maharaj on daughter: अक्सर समाज में एक धारणा होती है कि बेटी के घर पानी पीना या खाना खाना शुभ नहीं होता। प्रेमानंद जी महाराज ने इस धारणा को खारिज करते हुए कहा है कि शास्त्रों में बेटे और बेटी में कोई भेद नहीं किया गया है। स्त्रियों को पूज्य माना जाता है और बेटी भी माता-पिता की संतान है। इसलिए बेटी के घर जाना और वहां कुछ खाना-पीना बिल्कुल स्वाभाविक है।

प्रेमानंद जी महाराज का ये है विचार

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj on daughter) का मानना है कि हमें इन पुराने विचारों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। बेटी भी माता-पिता की संतान है और उन्हें उतना ही प्यार और सम्मान मिलना चाहिए जितना बेटे को मिलता है। बेटी के घर जाना और वहां कुछ खाना-पीना माता-पिता और बेटी के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।

Premanand Ji Maharaj on daughter

Premanand Ji Maharaj on daughter: बेटी के घर पानी पीना या खाना खाना बिल्कुल ठीक है और इसमें कोई बुराई नहीं है। यह एक स्वाभाविक और सामान्य बात है। हमें समाज की इन बेमानी रूढ़ियों को तोड़ना चाहिए और बेटी को बेटे के बराबर का दर्जा देना चाहिए।

Premanand Ji Maharaj on daughter: अक्सर कई जगह देखने को मिल जाता है कि माता-पिता अपनी बेटी के घर का पानी नहीं पीते हैं. वो बेटी के घर जाते हैं, लेकिन बिना कुछ खाए वापस लौट आते हैं.

इसी तरह से जुड़ा एक सवाल प्रेमानंद जी महाराज से एक महिला ने पूछा कि क्या बेटी के घर का पानी पीने से इंसान पाप का भागी बन जाता है.

इस सवाल को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि उसकी माता की तबीयत खराब रहती है, वह चाहती है कि अपनी मां की सेवा करूं लेकिन मां बाप की डर से घर नहीं आना चाहती हैं. ऐसे में अब क्या करना चाहिए.

प्रेमानंद जी महाराज ने दिया ये सुझाव

Premanand Ji Maharaj ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शास्त्रों में बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं किया गया है. लेकिन सनातन धर्म की पूज्य भावना और स्त्रियों का पूज्य रूप होने के कारण लोग बेटी के घर में पानी पीना पाप मानते हैं.

हालांकि, लोगों को ऐसे विचार रखना सही नहीं होता है, क्योंकि माता-पिता पर जितना अधिकार बेटे का होता है, उतना ही अधिकार एक बेटी का भी होता है.

अगर माता-पिता की तबीयत खराब होता है, तो यह बेटी का दायित्व होता है कि वह उनकी सेवा करें. मां-बाप बेटी की घर पूरा जीवन बिता भी लें, तो कोई परेशानी नहीं होती है.

Premanand Ji Maharaj राधा रानी ने अनन्य भक्त हैं. उनके दर्शन के लिए न सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. इन श्रद्धालुओं में सिर्फ नामचीन लोग ही शामिल नहीं होते हैं बल्कि मेरी आपकी तरह आम इंसान भी लोग शामिल रहते हैं.

प्रेमानंद जी सत्संग और प्रवचनों के माध्यम से भक्त और श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं. श्रद्धालु दर्शन की ख्वाहिश के साथ-साथ ढेर सारे सवालों को लेकर भी उनके पास आते हैं.

इस धारणा के पीछे के कारण

Premanand Ji Maharaj on daughter: कई बार ये धारणाएं समाज की कुछ रूढ़ियों या परंपराओं पर आधारित होती हैं जो कि तर्कहीन हो सकती हैं। पुराने समय में लड़कियों को घर की बेटी समझा जाता था और उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती थी। इसीलिए बेटी के घर जाना या वहां कुछ खाना-पीना अजीब लगता था।

Premanand Ji Maharaj on daughter: हर व्यक्ति के मन में कुछ ना कुछ ऐसे सवाल होते हैं, जिनका उत्तर जानना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है और वो हमेशा ऐसे इंसान या संत-महात्मा का सानिध्य पाना चाहते हैं, जो उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुने और उनके प्रश्नों का ऐसा उत्तर दे सके, जिससे उन्हें संतोष की प्राप्ति हो और वो अपने जीवन और भक्ति के मार्ग में आगे बढ़ सकें. कई भक्त ऐसे होते हैं, जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज से मिलकर अपने जटिल प्रश्नों का सहज उत्तर मिल जाता है.

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