Premanand Ji Maharaj on death experiences: मृत्यु अटल है। लोग मृत्यु के नाम से भी घबराते हैं। लेकिन जान अंत समय आता है तो क्या होता है? प्रेमानंद जी महाराज ने मृत्यु के समय व्यक्ति के अनुभवों के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। उनके अनुसार, मृत्यु के समय व्यक्ति को उसके जीवन भर किए गए कर्मों का फल मिलता है।
Premanand Ji Maharaj on death experiences
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि व्यक्ति को अंतिम समय में यही सब बातें याद आती हैं। इसका अंतिम परिणाम यह होता है कि अगले जन्म में व्यक्ति फिर उसी चीज में पहुंच जाता है।
मृत्यु के समय क्या होता है, इस बारे में प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार कुछ प्रमुख बातें हैं। आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज का इस विषय पर क्या कहना है?
यादों में खो जाता है
Premanand Ji Maharaj कहते हैं मृत्यु के समय व्यक्ति का मन उसकी जीवन भर की यादों में खो जाता है। जो व्यक्ति ने भगवान का नाम लिया होगा, उसे भगवान का नाम याद आएगा और जो व्यक्ति ने भौतिक सुखों में ही जीवन बिताया होगा, उसे उन सुखों की याद आएगी।
मृत्यु के समय व्यक्ति को उसके जीवन भर किए गए अच्छे और बुरे कर्मों का फल मिलता है। जो व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए होंगे, उसे शांति मिलेगी और जो व्यक्ति ने बुरे कर्म किए होंगे, उसे दुःख और पछतावा होगा।
लगता है भय
Premanand Ji Maharaj कहते हैं मृत्यु के समय व्यक्ति को भय और चिंता हो सकती है, खासकर अगर उसने जीवन में कोई पाप किया हो। मृत्यु के समय व्यक्ति के अंतःकरण की आवाज बहुत स्पष्ट होती है। उसे अपने जीवन के सभी अच्छे और बुरे कामों का एहसास होता है।
अच्छे कर्म पर शांति का अनुभव
जो व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए होंगे, उसे मृत्यु के समय शांति और सुख का अनुभव होगा। जो व्यक्ति ने बुरे कर्म किए होंगे, उसे मृत्यु के समय दुःख और पछतावा होगा।
जो व्यक्ति ने भगवान का नाम लिया होगा, उसे मृत्यु के समय भगवान का नाम याद आएगा। मृत्यु के समय व्यक्ति को अपने प्रियजनों की याद आएगी। जो व्यक्ति ने जीवन में कोई अधूरा काम छोड़ा होगा, उसे उसका पछतावा होगा।
मृत्यु के बाद क्या होगा, इस बारे में अनिश्चितता के कारण व्यक्ति को भय लगता है। जो व्यक्ति ने पाप किए होंगे, उसे मृत्यु के बाद नरक जाने का डर लगता है। जो व्यक्ति ने जीवन में कोई अधूरा काम छोड़ा होगा, उसे उसका पछतावा होता है।
Premanand Ji Maharaj के अनुसार, व्यक्ति का जब अंतिम समय आ जाता है, तो व्यक्ति का मन घबराने लगता है। व्यक्ति की इंद्रियों के साथ ही अंतःकरण भी व्याकुल हो जाता है।