Premanand Ji Maharaj on decisions: कई बार हम फैसले लेने में अटक जाते हैं। मन भ्रमित हो जाता है। हम ये नहीं सोच पाते कि सही कदम उठाया जाए या नहीं? इस बारे में प्रेमानंद जी महाराज का क्या कहना है आज इस लेख में जानते हैं।
जीवन में फैसले लेना कभी-कभी बहुत मुश्किल हो जाता है। कई बार हम इतने उलझ जाते हैं कि हमें सही रास्ता ही नहीं दिखता। ऐसे में प्रेमानंद जी महाराज के विचार हमें सही दिशा दिखा सकते हैं। उनके विचार न सिर्फ प्रेरणादायक हैं बल्कि हमें जीवन के कई सवालों के जवाब भी देते हैं।
प्रेमानंद जी के विचार
Premanand Ji Maharaj on decisions: जब हम कोई फैसला लेने जाते हैं तो अक्सर हम सोचते हैं कि इस फैसले से हमें क्या फायदा होगा या क्या नुकसान होगा। लेकिन प्रेमानंद जी कहते हैं कि सुख और दुःख दोनों ही अस्थायी होते हैं। इसलिए हमें हमेशा स्थायी सुख की तलाश करनी चाहिए।
जब हम भगवान में विश्वास रखते हैं तो हमें हर परिस्थिति में शांति मिलती है। और जब मन शांत होता है तो हम सही फैसले ले सकते हैं।
हम खुद जिम्मेदार होते हैं
Premanand Ji Maharaj on decisions: हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है, उसके लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं। इसलिए हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए। हमें दूसरों को दुख नहीं देना चाहिए क्योंकि जो दुख हम दूसरों को देते हैं, वह एक दिन हमें वापस मिलता है।
धैर्य और तप
जिसे आत्म-निर्भरता मिल जाती है, वह किसी भी मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है। सच्चा ज्ञान वही है, जो दिल से आता है, न कि केवल बुद्धि से। समय का मूल्य जानो, यही वह साधन है जिससे आप अपने जीवन को सफलता की ओर मोड़ सकते हैं। धैर्य और तप के बिना सफलता की कोई गारंटी नहीं होती।
आंतरिक शांति जरूरी
जब तक आपके मन में किसी के प्रति नफरत है, आप कभी आंतरिक शांति महसूस नहीं कर सकते। संसार के सभी सुखों से बड़ा सुख आत्मज्ञान में छिपा है। हमारे जीवन में जो भी हो रहा है, वह हमारे पूर्व के कर्मों का फल है। प्रेम ही सबसे महान शक्ति है, जो किसी भी स्थिति में व्यक्ति को उठाकर उसके जीवन को रोशन कर देती है।
डूब कर करें प्रभु नाम जप
Premanand Ji Maharaj on decisions: प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं, डूब कर करो। भगवान का नाम जपते समय हमें सिर्फ संख्या पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें भगवान में पूरी तरह से डूब जाना चाहिए।
यदि हम अपने मन को शांत और स्थिर करना चाहते हैं तो इसका एक उपाय यह है कि हम दृढ़तापूर्वक भगवान के चरणों में शरण लें और उनके नाम का जाप करें। जब हमारा मन शांत होता है तो हम सही फैसले ले सकते हैं।
जो व्यक्ति अपने अंदर की शांति को समझ लेता है, वही संसार की सबसे बड़ी जीत को हासिल करता है। जीवन का उद्देश्य केवल सुख प्राप्त करना नहीं है, बल्कि संतुष्टि और आंतरिक शांति को प्राप्त करना है।
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