Chanakya Niti for becoming rich: कैसे बनेंगे धनवान, जानिए क्‍या कहती है चाणक्‍य नीति
Chanakya Niti for becoming rich: कैसे बनेंगे धनवान, जानिए क्‍या कहती है चाणक्‍य नीति
TimesScope WhatsApp Channel

Chanakya Niti for becoming rich: चाणक्य नीति आज के समय में भी व्‍यवहारिक है। इन नीतियों से हमारे जीवन में काफी बदलाव आ सकते हैं। हम सभी ज्‍यादा रुपया कमाना चाहते हैं। इस पर चाणक्‍य नीति क्‍या कहती है आइए इस पर चर्चा करते हैं।

Chanakya Niti for becoming rich

चाणक्‍य नीति में धन और समृद्धि पाने के कई उपाय बताए गए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय है – रहने की जगह का चुनाव। चाणक्य के अनुसार, कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ रहने से व्यक्ति की प्रगति रुक सकती है। आइए जानते हैं ऐसी कौन-सी जगहें हैं जिनसे दूर रहकर हम अपनी तरक्की कर सकते हैं।

जहां नेगेटिव एनर्जी का माहौल हो

चाणक्य नीति (Chanakya Niti for becoming rich) के अनुसार कुछ स्थानों पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। ऐसे स्थानों पर रहने से व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हो सकता है और उसकी प्रगति रुक सकती है।

सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थानों पर रहने से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है और वह सफलता की ओर अग्रसर होता है।

यहां नहीं मिलेगी सफलता

चाणक्य बताते हैं कि ऐसे स्थान जहां कोई व्यवसायिक गतिविधियां न हों वहां रहकर सफलता प्राप्त करना कठिन हो सकता है।

व्यवसायिक गतिविधियां न होने से रोजगार के अवसर कम होते हैं और व्यक्ति की आय के स्रोत सीमित हो जाते हैं। व्यापार और उद्योग से जुड़े लोगों के साथ रहने से नए विचार मिलते हैं और व्यापारिक अवसरों का पता चलता है।

विद्वान न हों वो जगह छोड़ दें

चाणक्य नीति (Chanakya Niti for becoming rich) के अनुसार, ऐसे स्थान जहां विद्वान, विशेषकर वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण न हों वहां निवास करना भी लाभकारी नहीं होता। विद्वानों के साथ रहने से ज्ञान प्राप्त होता है और बुद्धि का विकास होता है।

ज्ञानी लोगों के साथ संगति करने से हमारी सोच का दायरा बढ़ता है और हम नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

मूलभूत सुविधाएं न हों

Chanakya Niti for becoming rich: आचार्य चाणक्य का जीवन दर्शन यह सिखाता है कि सफलता और समृद्धि पाने के लिए सही निर्णय लेना और सही स्थान पर निवास करना बेहद महत्वपूर्ण है।

चाणक्य के अनुसार कई बार गरीबी या असफलता का कारण व्यक्ति का निवास स्थान भी हो सकता है। उन्होंने उन स्थानों से दूर रहने की सलाह दी है जहां जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं और संसाधन न हों।

Premanand Ji Maharaj on decisions: लेना हो बड़ा फैसला तो पहले पढ़ लें प्रेमानंद जी के विचार